Website Traffic and ONPASSIVE

आज का Blog आपके लिए बहुत जानकारी देने वाला होगा! आज हम इंटरनेट के बारे में एक मजेदार चीज, Website Traffic, के बारे में जानेंगे. आपने देखा होगा कि सड़क पर गाड़ियों की भीड़ को ट्रैफिक कहते हैं. उसी तरह, इंटरनेट पर भी ट्रैफिक होता है! ये ट्रैफिक उन लोगों की संख्या को बताता है जो किसी वेबसाइट को देखने आते हैं.

Example के तौर पर, जब आप यूट्यूब पर वीडियो देखते हैं या कोई खबर पढ़ने के लिए किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो जितने ज्यादा लोग उस वेबसाइट को देख रहे होते हैं, उतना ही ज्यादा उसका Website Traffic होता है.

ठीक वैसे ही जैसे किसी दुकान पर कितने लोग जाते हैं, ये बताने के लिए हम भीड़ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह वेबसाइट पर कितने लोग आते हैं, ये बताने के लिए हम “ट्रैफिक” शब्द का इस्तेमाल करते हैं. बस फर्क ये है कि दुकान पर आप जाकर सामान देख सकते हैं, लेकिन वेबसाइट पर आप चीज़ें देखने के साथ-साथ कुछ कर भी सकते हैं, जैसे कोई जानकारी पढ़ना, वीडियो देखना या कोई चीज़ खरीदना.

Website Traffic : विज़िटर से यूज़र तक का सफर

वेबसाइट के लिए इस ट्रैफिक को वेब ट्रैफिक, इंटरनेट ट्रैफिक या ऑनलाइन ट्रैफिक भी कहते हैं. उदाहरण के तौर पर, www.onpassive.com पर हर रोज़ कितने लोग जा रहे हैं, ये उस वेबसाइट का ट्रैफिक है. अब मान लीजिये, आप onpassive.com पर गए. ये उनके लिए ट्रैफिक हुआ. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. अगर आप वहां रजिस्टर भी कर लेते हैं, तो आप सिर्फ एक विज़िटर नहीं रहते, बल्कि उनके लिए एक यूज़र बन जाते हैं. यानी, ट्रैफिक से यूज़र में बदल जाते हैं. यूज़र वो लोग होते हैं जो सिर्फ वेबसाइट देखने के अलावा वहां कुछ करते भी हैं. For example रजिस्टर करना, कोई चीज़ खरीदना या कोई और एक्टिविटी करना.

ट्रैफिक का सबसे आसान तरीका: ONPASSIVE वेबसाइट पर सीधे जाना

अब हम समझ गए कि वेबसाइट पर ट्रैफिक कहाँ से आता है! पहला तरीका है सीधा रास्ता. जो लोग ONPASSIVE के बारे में पहले से जानते हैं, उन्हें घुमावदार रास्ते पसंद नहीं! वो सीधे अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर अपना पसंदीदा ब्राउज़र खोलेंगे, ज़्यादातर लोग Google Chrome या Safari इस्तेमाल करते हैं. फिर, वो एड्रेस बार में onpassive.com लिख देंगे. ये एड्रेस बार वो बॉक्स होता है जो आपके ब्राउज़र में सबसे ऊपर होता है, जहाँ आप इंटरनेट पर जाना चाहते हैं वहां का पता लिखते हैं. मान लीजिये आप किसी फल वाले के बारे में जानते हैं जो सबसे ताज़े आम बेचता है. आप घूम-घाम कर दुकान ढूंढने की बजाय सीधे उसी के पास चले जाएंगे, है ना? उसी तरह, क्योंकि उन्हें पता है कि onpassive.com पर उन्हें ONPASSIVE के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी, वो वहां जाकर आधिकारिक वेबसाइट खोल लेंगे. तो सीधे शब्दों में कहें, तो जो लोग पहले से जानते हैं वो किसी भी तरह के विज्ञापन या लिंक्स के बगैर onpassive.com टाइप करके सीधे वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं. ये ट्रैफिक का सबसे आसान और सीधा रास्ता है!

ONPASSIVE Website Traffic का दूसरा रास्ता: रेफरल द्वारा नई खोज!

जिन्होंने सीधे वेबसाइट का पता लिखकर जाना सीख लिया, वो तो ठीक हैं, लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो थोड़े नए होते हैं इंटरनेट की दुनिया में. तो उनके लिए मददगार होता है दूसरा तरीका, जिसे हम कहते हैं “रेफरल ट्रैफिक”. रेफरल का मतलब होता है किसी चीज़ का सुझाव देना या किसी को कहीं भेजना. तो वेबसाइट के मामले में, रेफरल ट्रैफिक वो होता है जो किसी और के बताने से आता है. उदाहरण के लिए, मान लीजिये मैंने आपको ONPASSIVE के बारे में बताया और आपको उनकी वेबसाइट का पता भी दिया, यानी मैंने आपको onpassive.com का लिंक भेजा. अब आपने उस लिंक को क्लिक किया और सीधे onpassive.com की ऑफिशियल वेबसाइट पर पहुंच गए. तो ये जो Website Traffic हुआ, उसे ही हम रेफरल ट्रैफिक कहते हैं.

Affiliate लिंक: ONPASSIVE वेबसाइट को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका

इसी तरह, कई बार हम किसी को अपने Affiliate लिंक के ज़रिए रजिस्टर करवाने के लिए कहते हैं. ये Affiliate लिंक भी एक तरह का रेफरल लिंक ही होता है. आप उस लिंक को क्लिक करके रजिस्टर करते हैं, तो ये भी ONPASSIVE के लिए रेफरल ट्रैफिक बन जाता है. सीधे शब्दों में कहें, तो रेफरल ट्रैफिक वो होता है, जो किसी और के बताने या लिंक शेयर करने से वेबसाइट पर आता है. तो हमने समझ लिया कि रेफरल ट्रैफिक कैसे होता है. किसी ने आपको बताया, किसी ने आपको लिंक भेजा, आपने उस लिंक को क्लिक किया और वेबसाइट पर पहुंच गए. इस तरह आने वाले लोगों को ही रेफरल ट्रैफिक कहते हैं.

ONPASSIVE Website Traffic का तीसरा रास्ता: सोशल मीडिया द्वारा जुड़ाव!

अब आती है Website Traffic का तीसरा रास्ता, जिसे हम कहते हैं “सोशल ट्रैफिक”. सोशल का मतलब होता है सामाजिक और ट्रैफिक का मतलब हम जानते ही हैं! तो सोशल ट्रैफिक का मतलब हुआ – सामाजिक ज़रिए आने वाला ट्रैफिक. फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर – ये सब मिलकर सोशल मीडिया बनता है. अब ONPASSIVE का भी अपना सोशल मीडिया प्रोफाइल है. उनका अपना यूट्यूब चैनल है, जहां वे अपने बिजनेस मॉडल के बारे में जानकारी देते हैं या फिर कंपनी से जुड़ी कोई अपडेट शेयर करते हैं. फेसबुक पेज है, जहां वे किसी प्रोडक्ट की लॉन्चिंग की घोषणा करते हैं या यूजर्स के सवालों के जवाब देते हैं. ट्विटर अकाउंट है. तो जब बहुत सारे लोग इन सोशल मीडिया पेज को देखने के लिए जाते हैं, भले ही वे किसी लिंक को क्लिक करके वहां पहुंचे हों तो ये ONPASSIVE के लिए सोशल ट्रैफिक बन जाता है!

Website Traffic

ONPASSIVE वेबसाइट पर ट्रैफिक का चौथा रास्ता: खोज इंजन द्वारा जानकारी की तलाश!

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बहुत ताकतवर होते हैं. इनपर लाखों-करोड़ों लोग रोजाना एक्टिव रहते हैं. तो ये एक बेहतरीन तरीका है लोगों तक अपनी पहुँच बनाने का और उन्हें अपनी वेबसाइट पर लाने का. इसी वजह से ज्यादातर कंपनियां आजकल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. तो हमने समझ लिया कि सोशल मीडिया पेज देखने से भी वेबसाइट पर ट्रैफिक आता है. चाहे वो लोग सीधे लिंक क्लिक करके जाएं या न जाएं, ये सब सोशल ट्रैफिक माना जाता है. अब आखिरी रास्ता है ट्रैफिक आने का, जिसे हम कहते हैं “सर्च ट्रैफिक”. जब हमें कोई जानकारी ढूंढनी होती है तो हम क्या करते हैं? गूगल पर ढूंढते हैं, है ना? गूगल एक सर्च इंजन है, वैसे ही कई और भी सर्च इंजन हैं, जैसे बिंग या याहू. ये सर्च इंजन हमारे लिए इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को खोजना आसान बनाते हैं.

अगर कोई शख्स ये जानना चाहता है कि ONPASSIVE क्या है और वो गूगल पर “onpassive.com” सर्च करता है, मान लीजिये सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर onpassive.com की वेबसाइट का पता दिखाई देता है. तब वह व्यक्ति उस वेबसाइट के लिंक को क्लिक करके सीधे ऑफिशियल वेबसाइट पर पहुंच जाता है. तो ये सर्च ट्रैफिक कहलाता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो जब भी कोई व्यक्ति किसी सर्च इंजन की मदद से किसी वेबसाइट का पता ढूंढता है और उस सर्च रिजल्ट से सीधे उस वेबसाइट पर पहुंच जाता है, तो ये सर्च ट्रैफिक कहलाता है. ये ट्रैफिक किसी कंपनी के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि ये दिखाता है कि लोग खुद उनकी वेबसाइट ढूंढ रहे हैं, यानी उन्हें कंपनी या उसके उत्पादों में दिलचस्पी है.

ONPASSIVE वेबसाइट पर ट्रैफिक का चौथा रास्ता: खोज इंजन अनुकूलन (SEO) द्वारा मुफ्त में जानकारी तक पहुंच!

चलिए अब सर्च ट्रैफिक को अच्छे से समझते हैं. इसे दो भागों में बांटा जा सकता है: पहला है ऑर्गेनिक ट्रैफिक और दूसरा है पेड ट्रैफिक. आइए सबसे पहले ऑर्गेनिक ट्रैफिक को समझते हैं. ऑर्गेनिक का मतलब होता है स्वाभाविक या बिना किसी भुगतान के. तो ऑर्गेनिक Website Traffic वो होता है जो बिना किसी पैसे खर्च किए वेबसाइट पर आता है. समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं. मान लीजिये आपको एक नया अच्छा सा एंड्रॉयड फोन लेना है. आप अपने फोन पर गूगल खोलते हैं और सर्च बार में लिखते हैं “40 हजार से कम में सबसे अच्छा Samsung मोबाइल”. अब गूगल आपकी इस खोज के आधार पर कई वेबसाइट्स को सर्च रिजल्ट में दिखाएगा.

ये सर्च रिजल्ट वो वेबसाइट्स होती हैं जिनपर आपको शायद इस टॉपिक से जुड़ी जानकारी मिल सकती है. उदाहरण के तौर पर, गूगल आपको शायद दिखाए:

  • Amazon.in
  • Flipkart.com
  • टेक्नॉलजी से जुड़ी कोई वेबसाइट

ONPASSIVE वेबसाइट पर ट्रैफिक का चौथा रास्ता: भुगतान किए गए विज्ञापनों द्वारा जानकारी तक पहुंच!

अब आप इनमें से किसी भी वेबसाइट पर क्लिक कर सकते हैं. ये क्लिक ही असल में ऑर्गेनिक ट्रैफिक माना जाता है. गौर करने वाली बात ये है कि आपने किसी भी एडवरटाइजमेंट को क्लिक नहीं किया, बल्कि सीधे सर्च रिजल्ट से ही वेबसाइट को चुना. तो ये वेबसाइट के लिए ऑर्गेनिक ट्रैफिक हुआ. तो आपने गूगल पर सर्च किया और फिर अपनी पसंद की वेबसाइट पर जाकर फोन के बारे में पूरी जानकारी ली. आपने ये सब बिना किसी पैसे खर्च किए किया. तो ये हुआ ऑर्गेनिक ट्रैफिक! अब जरा दूसरी तरह का ट्रैफिक समझते हैं, जिसे कहते हैं “पेड ट्रैफिक”. पेड का मतलब होता है भुगतान किया हुआ. तो पेड ट्रैफिक वो होता है, जो पैसे खर्च करके वेबसाइट पर लाया जाता है.

वापस चलते हैं आपके उसी उदाहरण पर. आपने गूगल पर “40 हजार से कम में सबसे अच्छा Samsung मोबाइल” सर्च किया था. याद है, सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर कुछ वेबसाइटें थोड़ी अलग दिख रही थीं? हो सकता है उनमें लिखा हो “Sponsered” या “Ad”. ये असल में पेड ट्रैफिक होता है.

ONPASSIVE वेबसाइट: विज्ञापनों के माध्यम से अपनी पहुंच बढ़ाएं

अभी तो हमने सिर्फ उदाहरण के तौर पर देखा कि पेड ट्रैफिक कैसे काम करता है. भविष्य में ONPASSIVE पेड ट्रैफिक के लिए कौन सी रणनीति इस्तेमाल करेगा, ये अभी बता पाना मुश्किल है. ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि ONPASSIVE किस तरह का बिजनेस मॉडल अपनाएगा और उनके आदर्श ग्राहक कौन होंगे यानी, वे किन लोगों को अपना प्रोडक्ट या सर्विस बेचना चाहते हैं. आपने देखा होगा कि कई कंपनियां सोशल मीडिया विज्ञापनों का इस्तेमाल करती हैं, जो पेड Website Traffic का एक तरीका है. ये विज्ञापन उन्हीं लोगों को दिखाए जाते हैं जिन्हें कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस में दिलचस्पी हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी स्पोर्ट्स शू बेचती है, तो वे अपने विज्ञापन उन लोगों को दिखाएंगी जो फिटनेस से जुड़े पेजों को लाइक करते हैं या स्पोर्ट्स वेबसाइट्स ब्राउज़ करते हैं.

website Traffic

मुझे अभी ONPASSIVE के पेड ट्रैफिक पैकेजों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि भविष्य में वे इस बारे में बताएंगे. तब हमें पता चल जाएगा कि वे किस तरह के पैकेज ला रहे हैं और उनका इस्तेमाल कैसे करना है. चलिए, अब बात करते हैं “टारगेटेड ट्रैफिक” की, जिसे “टारगेटेड ऑडियंस” भी कहा जाता है. ये वे लोग होते हैं जो आपकी कंपनी के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं. आप किसी भी बिजनेस को देखें, उनका लक्ष्य होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपना प्रोडक्ट या सर्विस बेचें. लेकिन, हर कोई उनका ग्राहक नहीं बन सकता. उदाहरण के लिए, मान लीजिये आप एक ऑनलाइन कोर्स बेचते हैं जो शेयर मार्केट की ट्रेडिंग सिखाता है. तो आपके लिए वो लोग सबसे ज्यादा फायदेमंद होंगे जो पैसा इन्वेस्ट करने में रुचि रखते हैं, लेकिन शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा नहीं जानते. ऐसे लोगों को आपका कोर्स काफी फायदेमंद लगेगा और वो इसे खरीदने की संभावना ज्यादा रखते हैं.

तो सीधे शब्दों में कहें, टारगेटेड ट्रैफिक का मतलब है उन लोगों तक पहुंचना जिन्हें आपके प्रोडक्ट या सर्विस की जरूरत है और जो उन्हें खरीदने की संभावना रखते हैं. जितना ज्यादा आपका ट्रैफिक टारगेटेड होगा, उतना ही आपके लिए फायदेमंद होगा. अभी तो हमने सिर्फ पेड ट्रैफिक की बुनियाद समझी. भविष्य में ONPASSIVE पेड ट्रैफिक के लिए क्या रणनीति इस्तेमाल करेगा, ये अभी बता पाना मुश्किल है.

लेकिन ये जरूर जान लीजिये कि पेड Website Traffic का इस्तेमाल इस तरह किया जा सकता है कि आप सही लोगों तक पहुंच सकें. जिन्हें वाकई में आपके प्रोडक्ट या सर्विस में दिलचस्पी हो. तो आसान शब्दों में कहें, टारगेटेड ट्रैफिक का मतलब है उन लोगों तक पहुंचना जिन्हें आपके प्रोडक्ट या सर्विस की जरूरत है. जितना ज्यादा आपका ट्रैफिक टारगेटेड होगा, उतना ही ज्यादा फायदा! ज्यादा लोग आपकी चीज़ों को खरीदेंगे और आपकी कमाई भी बढ़ेगी.

2 thoughts on “Website Traffic and ONPASSIVE”

Leave a Comment